स्वच्छ भारत अभियान से आ सकती है हेपाटाइटिस ए में कमी


हिंदी में हेपाटाइटिस को यकृत-शोथ कहते हैं। हेपाटाइटिस ए इसी नाम के एक विषाणु के कारण होता है। यह एक काफी सामान्य रोग है। हेपाटाइटिस ए किसी को भी हो सकता है। इसका विषाणु मुँह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। शरीर में पहुँचकर वह अपनी संख्या बढ़ाने लगता है और मल के साथ बाहर निकलता है। कभी-कभी यह यौन संबंध से अथवा दूषित जल पीने से या जल-मल से प्रदूषित पानी में से प्राप्त किए गए झींगा आदि शल्कधारी जीवों को खाने से फैलता है। 
  
हेपाटाइटिस ए के लक्षणों में शामिल होते हैं थकान, भूख कम लगना, बुखार और मितली। पेशाब का रंग गाढ़ा हो सकता है, और इसके बाद पीलिया के लक्षण (त्वचा और आँखों की पुतली का पीला पड़ना) प्रकट हो सकते हैं। शिशुओं और छोटे बच्चों में लक्षण बहुत ही हल्के रूप से प्रकट होते हैं और बड़े बच्चों और वयस्कों के समान उन्हें पीलिया के लक्षण भी कम ही होते हैं। यह भी ज़रूरी नहीं है कि सभी रोगियों में सभी लक्षण प्रकट हों। विषाणु के शरीर में घुसने के दो से छह सप्ताहों में लक्षण प्रकट हो सकते हैं, किंतु आम तौर पर चार सप्ताहों के अंदर दिखाई देने लगते हैं। यह रोग विरल अवसरों में ही जानलेवा होता है और अधिकांश लोग कुछ हफ्तों में बिना किसी परेशानियों के ठीक हो जाते हैं। 

इसके रोगाणुओं को धारण करने वाला व्यक्ति लक्षणों के प्रकट होने के लगभग दो सप्ताह पूर्व से ही दूसरों को यह बीमारी दे सकता है। अधिकांश रोगी पीलिया के लक्षणों के दिखाई देने के एक सप्ताह बाद दूसरों को इस रोग की छूत देने की क्षमता खो देते हैं। इस रोग का कोई वाहक चरण नहीं होता है।

जिस व्यक्ति को हेपाटाइटिस ए एक बार हो चुका हो, वह उम्र भर के लिए इस रोग के लिए प्रतिरोधक क्षमता अर्जित कर लेता है और वह इस विषाणु का वहन नहीं करता। लक्षणों के प्रकट होने के बाद देने के लिए कोई विशेष दवा नहीं है। आम तौर पर रोगी के लिए बिस्तर पर आराम करना ही पर्याप्त होता है और वह अपने आप ही रोगमुक्त हो जाता है। रोकथाम का सबसे कारगर तरीका शौचालय जाने के बाद और खाना पकाने से पहले हाथों को अच्छी तरह धोना है। रोगग्रस्त व्यक्तियों को रोग के संक्रामक काल में खाने की चीजों को छूना नहीं चाहिए।  रोगी के घर के जो सदस्य उसके निकट संपर्क में आने वाले हैं, उन्हें डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए कि क्या उन्हें इम्यून ग्लोब्युलिन (आईजी) का इंजेक्शन लेना चाहिए या नहीं। इस इन्जेक्शन से रोग के लगने की संभवाना कुछ कम हो जाती है और यह छह सप्ताहों के लिए हेपाटाइटिस ए से सुरक्षा प्रदान करता है।

चूँकि इस रोग के रोगाणु मल के ज़रिए फैलते हैं, खुले में शौच करना बंद हो जाने पर और इंसानी मल को निपटाने की अच्छी व्यवस्था हो जाने पर इस रोग में भी कमी आ जाएगी। इसलिए स्वच्छ भारत अभियान के सफल होने का एक फायदा यह भी होगा कि हमें इस रोग से भी काफी हद तक छुटकारा मिल जाएगा।

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